!! OM ATMAGURVE NAMAH !! !! OM ATMAGURVE NAMAH !! !! OM ATMAGURVE NAMAH !! !! OM ATMAGURVE NAMAH !! !! OM ATMAGURVE NAMAH !!
!! ॐ आत्मागुरवे नमः !!
!! OM ATMAGURVE NAMAH !! !! OM ATMAGURVE NAMAH !! !! OM ATMAGURVE NAMAH !! !! OM ATMAGURVE NAMAH !! !! OM ATMAGURVE NAMAH !!
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
O
M
 
स्फोट वही
उद्गीत वही
ब्रह्मनाद शब्द
ध्वनिधार वही
स्फोट वही
उद्गीत वही
ब्रह्मनाद शब्द
ध्वनिधार वही
स्फोट वही
उद्गीत वही
ब्रह्मनाद शब्द
ध्वनिधार वही
स्फोट वही
उद्गीत वही
ब्रह्मनाद शब्द
ध्वनिधार वही
स्फोट वही
उद्गीत वही
ब्रह्मनाद शब्द
ध्वनिधार वही
स्फोट वही
उद्गीत वही
ब्रह्मनाद शब्द
ध्वनिधार वही
स्फोट वही
उद्गीत वही
ब्रह्मनाद शब्द
ध्वनिधार वही
आत्मा ही सदगुरु है - स्फोटाचार्य
स्फोट वही
उद्गीत वही
ब्रह्मनाद शब्द
ध्वनिधार वही
स्फोट वही
उद्गीत वही
ब्रह्मनाद शब्द
ध्वनिधार वही
स्फोट वही
उद्गीत वही
ब्रह्मनाद शब्द
ध्वनिधार वही
स्फोट वही
उद्गीत वही
ब्रह्मनाद शब्द
ध्वनिधार वही
स्फोट वही
उद्गीत वही
ब्रह्मनाद शब्द
ध्वनिधार वही
स्फोट वही
उद्गीत वही
ब्रह्मनाद शब्द
ध्वनिधार वही
स्फोट वही
उद्गीत वही
ब्रह्मनाद शब्द
ध्वनिधार वही
 
Home About SD Satya Katha Satyayan Mahayagya Satyavanee Science Contact Feedback Back
सरस्वती मंदिर, भवानीपुर

मंदिर निर्माणाधीन है, जीर्णोद्धार हेतु दान देकर महापुण्य के भागी बनें !

माँ शारदे मंदिर पूजा समिति, भवानीपुर
खाता संख्या : 463020110000061
बैंक ऑफ़ इंडिया, भवानीपुर शाखा
IFSC Code : BKID0004630



  • Certificate Verification
  • ISO Certificate
  • Authority
  • KCSK
  • Scientific Education Point
  • Softech Revolution
  • Vocational Training Camp
  • Raj Infotech
  • Vision 2020
  • Survey Form
  • ITR Reports
  • Audit Reports
  • Contact Us
  • Directors
  • Advisors
  • Cordinators
  • Excutive Board Members
  • Programing Managers


  • OUR BRANCHES
  • SR Branches
  • KCSK Branches
  • VTC Branches
  • SEP Branches



  • मनुष्य की पहली आवश्यकता है कि वह अपने आत्मा को प्राप्त करे ! - स्फोटाचार्य
    sfotUNI1

    इस पुस्तक में सभी ज्ञान से ओत-प्रोत वाक्यों के मूल सार को मैंने प्रभु की कृपा से “स्मृति-रामायण” के तरह ही भाव एवं स्वर को पद्य में अभिव्यक्त किया है, इस चन्द पद्य में ही परमपिता परमात्मा के तत्वस्वरुप, सत्य-धर्मं तथा आत्मज्ञान का भाव स्पष्ट है :-

    !! सत्यायन !!

    ज्योतिस्वरूप हि तत्वस्वरूपा, सूक्ष्म-परमात्म तत्व नाना रूपा !
    ॐ शब्द इक सत्य स्वरूपा, शब्द अनेक है आत्म स्वरूपा !! १ !!

    आत्म स्वरुप है सब जग-जीवा, जीवस्वरुप है पिंड-ब्रह्मंडा !!
    सकल सृष्टि है पिंड सामवा, सकल पिंड ज्योति विच पावा !! २ !!

    ज्योति-सूक्ष्म-स्थूल सामना, कहत अनंता नहि जग जाना !
    ऋषि-मुनि-नारद संग सब देवा, ज्ञानी-ब्रह्मज्ञानी दरस नहि पावा !! ३ !!

    पढ़ी-पढ़ी सबहि वेद और ग्रन्था, पावहि पार न प्रभु के सांता !
    वेद समग्र सब पढ़ी पुराणा, पर न भई जब आत्मज्ञाना !! ४ !!

    जाई स्कन्द को कथा सुनाया, तबहि स्कन्द नारद समझाया !
    जो तूने करी सीख-बखाना, ये सब नाम और रूप सामना !! ५ !!

    आत्म-परमात्म न पृथक बताया, मठाकाश-घटाकाश समझाया !
    ये सब है परब्रह्म की माया, करि विस्तार तत्वज्ञान बताया !! ६ !!

    बहुत संकुचित प्रभु हमारा, सरे सृष्टि के एक आधारा !
    देखत सृष्टि है प्रभु के काया, तत्व-सृष्टि है प्रभुहि समाया !! ७ !!

    नहि कोई देत नहि लोक है दूजा, आत्मज्ञान सम ताप नहि पूजा !
    एक विलक्षण चाहुओर अकेला, नहि दूजा आच्छादित करने वाला !! ८ !!

    यज्ञ-याग्य पुण्य कर स्वर्ग जो जाई, भये अंत जब लौटहि आई !
    करि योग-कर्म विकर्म न पवै, आत्मज्ञानी फिर लौट न आवै !! ९ !!

    भुत-भ्रम सब भेद है सांता, आत्मज्ञानी बनो कहै अनंता !
    धरो ध्यान पिंड तत्वज्ञान अधरा, भवसागर से प्रभु पार उतरा !! १० !!

    सरे सृष्टि इक उदर समाया, पर माया का पार न पाया !
    ज्योतिस्वरूपहि तत्वस्वरूपा, स्थूल-परमात्म-तत्व नाना रूपा !! ११ !!

    सर्व सृष्टि के सार है, मूल तत्वधार, आत्मज्ञान आधार है तत्वस्वरूप के सार !
    जपो पिंड ओंकार सदा, धई के प्रभु का ध्यान, गुरु कहे ना गुरु कोई आत्मा गुरु सामान !! १ !!

    दया धर्मं हीं उत्तम है, शांत पराक्रम जान, आत्मज्ञान श्रेष्ठ ज्ञानो में, धर्मं न सत्य समान !
    अविनाशी शक्तिस्वरुप प्रकृति, अव्यक्त-व्यक्त मान, कार्य-कारण का आत्मा है, नर-नारायण जान !! २ !!

    आत्मा अत्यंत विशाल है, दिव्य अचिन्त्य रूप !
    कहे नारायण नारद से, आत्मा ही पूज्य है सगुन-निर्गुण रूप !! १ !!

    !! ब्रह्मर्षि स्फोटाचार्य !!







    Service of a man is the service of God.

    Your visitor No.
    BACK
    Your Visitor No.

    Home    |    SEP    |    Softech    |    KCSK    |    Vocational    |    ISO    |    RGVT    |    Satyadharma    |    Contact Us

    All Right Reserved       Copyright © rgvt     Web developed by "Raj Infotech"    Orgd. by RGVT, New Delhi

    Mail us to ejoying your website wonership : support@rgvt.org